तोरे सिवा जाऊँ कहाँ
पाऊँ तुझँ जाऊँ जहाँ 4
1. प्रभु में था एक एज्ञानी
अनुग्रह से ही तेरी महिमा जानी 2
भेड़ हुँ में तू है गडरिया
आत्मा से मुझको चरा
तोरे सिवा जाऊँ कहाँ
पाऊँ तुझँ जाऊँ जहाँ 2
2. काले समदंर से मैं घिरा था
आस ना थी कोई डूव रहा था 2
आके यीशु तुने वचाया
जीवन का मार्ग दिखाया
तोरे सिवा जाऊँ कहाँ
पाऊँ तुझँ जाऊँ जहाँ 2
3. प्रभु मैं था एक अभिमानी
करता था अपनी मनमानी 2
पत्थर सा दिल पिघलाया
सच्चा प्रम करना सिखाया
तोरे सिवा जाऊँ कहाँ
पाऊँ तुझँ जाऊँ जहाँ 2
4. मोरे जीवन के तुम स्वामी
तुमको अर्पण प्राण आत्मा भी
तोरे जेसा कोन है प्रेमी
ना मिलेगा तुम सा कोई 2
भेड़ हुँ मैं तु है गड़रिया
आत्मा से मुझको चरा
तोरे सिवा जाऊँ कहाँ
पाऊँ तुझँ जाऊँ जहाँ 2
5. सारे मिलकर जय जय गाएँ
तेरे आगे शीष झुकाएँ 2
सर्वशक्तिमान है तु
ना कोई तुझसा प्रभु
तोरे सिवा जाऊँ कहाँ
पाऊँ तुझँ जाऊँ जहाँ 4